MVA साथ चुनाव लड़ने को तैयार परंतु उद्धव के चेहरे पर पवार तैयार नहीं ?

लोकसभा चुनाव के बाद अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की राजनीतिक बिसात बिछाई जाने लगी हैं। शिवसेना (यूबीटी) की ओर से विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे के नाम को सीएम चेहरे के तौर पर आगे बढ़ाया गया है, लेकिन शरद पवार ने इसे खारिज कर दिया हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि शरद पवार एक साथ चुनाव लड़ने के लिए तैयार है, कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी की जोड़ी महाराष्ट्र में हिट रही है. तीनों ही विपक्षी दलों के हौसले बुलंद हैं। अक्तूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में एक साथ मिलकर लड़ने के लिए एकमत है, लेकिन सीएम पद के चेहरे पर सहमती नहीं बन पा रही हैं।
लोकसभा चुनाव के नतीजे के चलते ही इंडिया गठबंधन के तीन घटक दल 2024 के विधानसभा चुनाव में एक साथ किस्मत आजमाने के पक्ष में है, लेकिन मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर असमंजस की स्थिति हैं। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत द्वारा उद्धव ठाकरे के नाम को सीएम चेहरे के लिए आगे किया गया हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बिना महाराष्ट्र में चुनाव में जाना महाविकास अघाड़ी के लिए खतरनाक होगा। महाराष्ट्र ने देखा है कि कोरोना काल में उद्धव ठाकरे ने राज्य को कैसे संभाला, उद्धव ठाकरे की लोकप्रियता के चलते ही लोगों ने एमवीए को वोट दिया, जिसके चलते विधानसभा चुनाव में उनके चेहरे पर लड़ना चाहिए। हालांकि शरद पवार ने उद्धव ठाकरे के नाम को खारिज करते हुए कहा कि हमारा गठबंधन सामूहिक चेहरा हैं। एक व्यक्ति हमारा सीएम पद का चेहरा नहीं बन सकता। सामूहिक नेतृत्व हमारा फॉर्मूला है, तीनों सहयोगी मिलकर इस संबंध में फैसला लेंगे। पीएम मोदी का विरोध करने वाले सभी छोटे दलों को एमवीए का हिस्सा बनना चाहिए। मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर जो भी फैसला लेना होगा, वह चर्चा के जरिए और सभी को विश्वास में लेने के बाद लिया जाएगा।
शरद पवार महाराष्ट्र की सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे के नाम पर अपनी मुहर लगाकर गारंटी नहीं देना चाहते हैं। ऐसे में उनकी सियासी मंशा है कि महा विकास अघाड़ी चुनाव में सामूहिक नेतृत्व में लड़े और नतीजे के बाद तय हो कि कौन मुख्यमंत्री होगा। पवार खेमे के नेताओं की मंशा है कि उद्धव ठाकरे के नाम पर चुनाव लड़ने से बहुत ज्यादा सियासी लाभ नहीं हो सकता हैं। लोकसभा चुनाव में जिस तरह से बिना किसी चेहरे को आगे करके चुनाव लड़ा गया है, उसी तरह से विधानसभा चुनाव लड़ा जाए ताकि सभी पक्ष का वोट मिले।